निडर बनना है तो -मूलाधार चक्र को जागृत करें
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योग के विभूतिपाद में अष्टसिद्धि के अलावा अन्य अनेक प्रकार की सिद्धियों का वर्णन मिलता है। सभी सिद्धियों को प्राप्त करने के लिए चक्रों को जागृत करना चाहिए। मनुष्य शरीर स्थित कुंडलिनी शक्ति में जो चक्र स्थित होते हैं उनकी संख्या कहीं छ: तो कहीं सात बताई गई है।
समय-समय पर चक्रों वाले स्थान पर ध्यान दिया जाए तो मानसिक स्वास्थ्य और सुदृढ़ता के साथ ही सिद्धियां प्राप्त की जा सकती हैं तो जानते है मूलाधार चक्र को जाग्रत करने की विधि और इस चक्र से प्राप्त होती है कौन सी सिद्धि...
मूलाधार चक्र : यह शरीर का पहला चक्र है। गुदा और लिंग के बीच चार पंखुरियों वाला यह 'आधार चक्र' है। 99.9 लोगों की चेतना इसी चक्र पर अटकी रहती है और वे इसी चक्र में रहकर मर जाते हैं। जिनके जीवन में भोग, संभोग और निद्रा की प्रधानता है उनकी ऊर्जा इसी चक्र के आसपास एकत्रित रहती है।
मंत्र : लं
चक्र जगाने की विधि :
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मनुष्य तब तक पशुवत है, जब तक कि वह इस चक्र में जी रहा है इसीलिए भोग, निद्रा और संभोग पर संयम रखते हुए इस चक्र पर लगातार ध्यान लगाने से यह चक्र जाग्रत होने लगता है। इसको जाग्रत करने का दूसरा नियम है यम और नियम का पालन करते हुए साक्षी भाव में रहना।
आसन विधि :
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कगासन में बैठकर (टॉयलैट में बैठने जैसी अवस्था) गुदाद्वार को अंदर
खिंचकर मूलबंध की स्थिति में कुछ देर तक रहें और फिर ढीला कर दें। पुन:
अंदर खिंचकर पुन: छोड़ दें। यह प्रक्रिया यथा संभव अनुसार करते रहें और
फिर कुछ देर आरामपूर्वक बैठ जाएं।
प्रभाव : इस चक्र के जाग्रत होने पर व्यक्ति के भीतर वीरता, निर्भीकता और आनंद का भाव जाग्रत हो जाता है। सिद्धियां प्राप्त करने के लिए वीरता, निर्भीकता और जागरूकता का होना जरूरी है।
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योग के विभूतिपाद में अष्टसिद्धि के अलावा अन्य अनेक प्रकार की सिद्धियों का वर्णन मिलता है। सभी सिद्धियों को प्राप्त करने के लिए चक्रों को जागृत करना चाहिए। मनुष्य शरीर स्थित कुंडलिनी शक्ति में जो चक्र स्थित होते हैं उनकी संख्या कहीं छ: तो कहीं सात बताई गई है।
समय-समय पर चक्रों वाले स्थान पर ध्यान दिया जाए तो मानसिक स्वास्थ्य और सुदृढ़ता के साथ ही सिद्धियां प्राप्त की जा सकती हैं तो जानते है मूलाधार चक्र को जाग्रत करने की विधि और इस चक्र से प्राप्त होती है कौन सी सिद्धि...
मूलाधार चक्र : यह शरीर का पहला चक्र है। गुदा और लिंग के बीच चार पंखुरियों वाला यह 'आधार चक्र' है। 99.9 लोगों की चेतना इसी चक्र पर अटकी रहती है और वे इसी चक्र में रहकर मर जाते हैं। जिनके जीवन में भोग, संभोग और निद्रा की प्रधानता है उनकी ऊर्जा इसी चक्र के आसपास एकत्रित रहती है।
मंत्र : लं
चक्र जगाने की विधि :
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मनुष्य तब तक पशुवत है, जब तक कि वह इस चक्र में जी रहा है इसीलिए भोग, निद्रा और संभोग पर संयम रखते हुए इस चक्र पर लगातार ध्यान लगाने से यह चक्र जाग्रत होने लगता है। इसको जाग्रत करने का दूसरा नियम है यम और नियम का पालन करते हुए साक्षी भाव में रहना।
आसन विधि :
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कगासन में बैठकर (टॉयलैट में बैठने जैसी अवस्था) गुदाद्वार को अंदर
खिंचकर मूलबंध की स्थिति में कुछ देर तक रहें और फिर ढीला कर दें। पुन:
अंदर खिंचकर पुन: छोड़ दें। यह प्रक्रिया यथा संभव अनुसार करते रहें और
फिर कुछ देर आरामपूर्वक बैठ जाएं।
प्रभाव : इस चक्र के जाग्रत होने पर व्यक्ति के भीतर वीरता, निर्भीकता और आनंद का भाव जाग्रत हो जाता है। सिद्धियां प्राप्त करने के लिए वीरता, निर्भीकता और जागरूकता का होना जरूरी है।
Muje chakr sadhana me puri sahy kare.mene yogdixa li he. Me garib brahman hu.aum
ReplyDeleteAapka co.no. Dijiye
ReplyDeleteAapka co.no. Dijiye
ReplyDelete9987616282
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