Skip to main content

मत्स्यासन :


-------------


विधि :
--------
इस आसन को करने के लिए सबसे पहले पद्मासन लगाकर बैठ जाएं। पद्मासन में बैठने के लिए नीचे बैठकर दाहिने पैर को घुटने से मोड़कर बाईं जांघ पर रखें और बाएं पैर को घुटने से मोड़कर दाईं जांघ पर रखें। पद्मासन में बैठने के बाद हाथों के सहारे से धीरे-धीरे पीठ के बल लेट जाएं। इस क्रिया को करते समय दोनों घुटने जमीन को छूते रहें तथा रीढ़ की हड्डी सीधी रखें। अपने दोनों हाथों की हथेलियों से सिर व गर्दन ऊठाते हुए सिर के अगले हिस्से को जमीन (फर्श) पर स्थिर करें। इसके बाद अपने दोनों हाथों को नितम्बों के दोनों ओर जमीन पर रखें । सांस स्वाभाविक रूप से लें। अब अपने दोनों हाथों को फैलाकर जांघों पर रखें या पैर के अंगूठे को पकड़ लें। बाएं हाथ से दाएं पैर का अंगूठा व दाएं हाथ से बाएं पैर का अंगूठा पकड़ लें। इस अवस्था में दोनों कोहनियों को जमीन पर लगाकर रखें। इस स्थिति में 10 से 15 सैकेंड तक रहें और फिर धीरे-धीरे अभ्यास को बढ़ाते हुए 5 मिनट तक ले जाएं। यह आसन पूर्ण होने के बाद पहले अंगूठे को छोड़े फिर कमर को सीधा कर पद्मासन को खोलकर अपने दोनों पैरों को फैला लें और कुछ देर तक लेटे रहें। यह सभी क्रियाएं धीरे-धीरे करें।

लाभ :
-------
• इस आसन को करने से सांस के सभी रोगों में लाभ होता है।
• यह आसन चेहरे के तंतुओं पर विशेष प्रभाव डालता है तथा पूरे मेरूदंड को प्रभावित करता है और उसकी गड़बड़ियों को दूर करता है।
• यह आसन गर्दन पर जमा चर्बी को कम करता है और गर्दन व कमरदर्द के लिए यह एक अच्छा आसन है।
• यह आसन पेट की मांसपेशियों को क्रियाशील बनाता है। इससे छोटी आंत तथा मलद्वार भी सही रूप से काम करने लगते हैं।
• यह आसन अपच को खत्म करता है, कब्ज को दूर करता है, वायु विकार दूर करता है तथा भूख को बढ़ाता है।
• इस आसन के द्वारा शरीर में शुद्ध खून का निर्माण एवं संचार होता है जिसके कारण चेहरे पर चमक आ जाती है।
• यह आसन लगातार करते रहने से दमा रोग ठीक होता है, श्वासनली की सूजन दूर होती है तथा खांसी व टॉंसिल में भी लाभकारी है।
• इससे थायरायड एवं पैराथायरायड ग्रंथियों को भी लाभ मिलता है। इस आसन को करने से पहले 3 गिलास ताजा पानी पीने से शौच शुद्धि में तुरंत लाभ होता है तथा पेट के रोग दूर होते हैं।
• यह आसन स्त्रियों के गर्भाशय सम्बन्धी सभी बीमारियों को जल्द ठीक करता है तथा मासिकधर्म सही समय पर व उचित मात्रा में व उचित ढंग से होने लगता है।

सावधानी :
-------------
छाती व गले में अत्यधिक दर्द या अन्य कोई रोग होने की स्थिति में यह आसन न करें। बड़ी सावधानी से यह आसन करना चाहिए, शीघ्रता से गर्दन में मोच आ जाने का भय रहता है, क्योंकि धड़ को बिल्कुल ऊपर कर देना होता है। यह आसन एक मिनट से पाँच मिनट तक किया जा सकता है।

Comments

Popular posts from this blog

सहस्रार चक्र

साधना की उच्च स्थिति में ध्यान जब सहस्रार चक्र पर या शरीर के बाहर स्थित चक्रों में लगता है तो इस संसार (दृश्य) व शरीर के अत्यंत अभाव का अनुभव होता है |. यानी एक शून्य का सा अनुभव होता है. उस समय हम संसार को पूरी तरह भूल जाते हैं |(ठीक वैसे ही जैसे सोते समय भूल जाते हैं).| सामान्यतया इस अनुभव के बाद जब साधक का चित्त वापस नीचे लौटता है तो वह पुनः संसार को देखकर घबरा जाता है,| क्योंकि उसे यह ज्ञान नहीं होता कि उसने यह क्या देखा है? वास्तव में इसे आत्मबोध कहते हैं.| यह समाधि की ही प्रारम्भिक अवस्था है| अतः साधक घबराएं नहीं, बल्कि धीरे-धीरे इसका अभ्यास करें.| यहाँ अभी द्वैत भाव शेष रहता है व साधक के मन में एक द्वंद्व पैदा होता है.| वह दो नावों में पैर रखने जैसी स्थिति में होता है,| इस संसार को पूरी तरह अभी छोड़ा नहीं और परमात्मा की प्राप्ति अभी हुई नहीं जो कि उसे अभीष्ट है. |इस स्थिति में आकर सांसारिक कार्य करने से उसे बहुत क्लेश होता है क्योंकि वह परवैराग्य को प्राप्त हो चुका होता है और भोग उसे रोग के सामान लगते हैं, |परन्तु समाधी का अभी पूर्ण अभ्यास नहीं है.| इसलिए साधक को चाहिए कि...

आर्थराइटिस का उपचार

आर्थराइटिस का उपचार : १. दोनों तरह के आर्थराइटिस (Osteoarthritis और Rheumatoid arthritis) मे आप एक दावा का प्रयोग करे जिसका नाम है चुना, वोही चुना जो आप पान म े खाते हो | गेहूं के दाने के बराबर चुना रोज सुबह खाली पेट एक कप दही मे मिलाके खाना चाहिए, नही तो दाल मे मिलाके, नही तो पानी मे मिलाके पीना लगातार तिन महीने तक, तो आर्थराइटिस ठीक हो जाती है | ध्यान रहे पानी पिने के समय हमेशा बैठ के पीना चाहिए नही तो ठीक होने मे समय लगेगा | अगर आपके हात या पैर के हड्डी मे खट खट आवाज आती हो तो वो भी चुने से ठीक हो जायेगा | २. दोनों तरह के आर्थराइटिस के लिए और एक अछि दावा है मेथी का दाना | एक छोटा चम्मच मेथी का दाना एक काच की गिलास मे गरम पानी लेके उसमे डालना, फिर उसको रात भर भिगोके रखना | सबेरे उठके पानी सिप सिप करके पीना और मेथी का दाना चबाके खाना | तिन महीने तक लेने से आर्थराइटिस ठीक हो जाती है | ध्यान रहे पानी पिने के समय हमेशा बैठ के पीना चाहिए नही तो ठीक होने मे समय लगेगा | ३. ऐसे आर्थराइटिस के मरीज जो पूरी तरह बिस्तर पकड़ जुके है, चाल्लिस साल से तकलीफ है या तिस साल स...

भूत भगाने के 10 सरल उपाय

भूत भगाने के 10 सरल उपाय हिन्दू धर्म में भूतों से बचने के अनेक उपाय बताए गए हैं। चरक संहिता में प्रेत बाधा से पीड़ित रोगी के लक्षण और निदान के उपाय विस्तार से मिलते हैं।  ज्योतिष साहित्य के मूल ग्रंथों- प्रश्नमार्ग, वृहत्पराषर, होरा सार, फलदीपिका, मानसागरी आदि में ज्योतिषीय योग हैं जो प्रेत पीड़ा, पितृ दोष आदि बाधाओं से मुक्ति का उपाय बताते हैं। अथर्ववेद में भूतों और दुष्ट आत्माओं को भगाने से संबंधित अनेक उपायों का वर्णन मिलता है। यहां प्रस्तुत है प्रेतबाधा से मुक्ति के 10 सरल उपाय। 1. ॐ या रुद्राक्ष का अभिमंत्रित लॉकेट गले में पहने और घर के बाहर एक त्रिशूल में जड़ा ॐ का प्रतीक दरवाजे के ऊपर लगाएं। सिर पर चंदन, केसर या भभूति का तिलक लगाएं। हाथ में मौली (नाड़ा) अवश्य बांध कर रखें। 2. दीपावली के दिन सरसों के तेल का या शुद्ध घी का दिया जलाकर काजल बना लें। यह काजल लगाने से भूत, प्रेत, पिशाच, डाकिनी आदि से रक्षा होती है और बुरी नजर से भी रक्षा होती है। 3. घर में रात्रि को भोजन पश्चात सोने से पूर्व चांदी की कटोरी में देवस्थान या किसी अन्य पवित्र स्थल पर कपूर तथा लौंग जला दें। इससे आक...