1. ज्ञान मुद्रा (चिन्मय मुद्रा) GYANA MUDRA ************************************* अंगूठे एवं तर्जनी अंगुली के स्पर्श से जो मुद्रा बनती है उसे ज्ञान मुद्रा कहते हैं | विधि : ——- 1. पदमासन या सुखासन में बैठ जाएँ | 2. अपने दोनों हाथों को घुटनों पर रख लें तथा अंगूठे के पास वाली अंगुली (तर्जनी) के उपर के पोर को अंगूठे के ऊपर वाले पोर से स्पर्श कराएँ | 3. हाँथ की बाकि अंगुलिया सीधी व एक साथ मिलाकर रखें | सावधानियां : ————- • ज्ञान मुद्रा से सम्पूर्ण लाभ पाने के लिए साधक को चाहिए कि वह सादा प्राकृतिक भोजन करे | • मांस मछली, अंडा,शराब,धुम्रपान,तम्बाकू,चाय,काफ़ी कोल्ड ड्रिंक आदि का सेवन न करें | • उर्जा का अपव्यय जैसे- अनर्गल वार्तालाप,बात करते हुए या सामान्य स्थिति में भी अपने पैरों या अन्य अंगों को हिलाना, ईर्ष्या, अहंकार आदि उर्जा के अपव्यय का कारण होते हैं, इनसे बचें | मुद्रा करने का समय व अवधि : —————————— • प्रतिदिन प्रातः, दोपहर एवं सांयकाल इस मुद्रा को किया जा सकता है | • प्रतिदिन 48 मिनट या अपनी सुविधानुसार इससे अधिक समय तक ज्ञान मुद्रा को किया जा सकता है | यदि एक बार में 48...