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Showing posts from 2013

वाजीकरण द्रव्य

दूध-  आयुर्वेद के अनुसार दूध को सबसे ज्यादा उपयोगी वाजीकरण औषधि का नाम दिया गया है। दूध वीर्य की वृद्धि करने वाला, काम-शक्ति को बढ़ाने वाला और शरीर की खोई हुई ताकत को दुबारा पैदा करने में प्रभावशाली होता है। अगर स्त्री के साथ संभोग करने से पहले गर्म दूध पी लिया जाए तो इससे यौनशक्ति बढ़ती है, संभोग के प्रति मन में इच्छा पैदा होती है, पूरी मात्रा में वीर्य स्खलन होता है। वहीं अगर संभोग करने के बाद गर्म और मीठा दूध पीने से संभोग करने के समय खर्च हुई शक्ति दुबारा मिलकर व्यक्ति की थकान दूर हो जाती है। इसलिए संभोग करने के पहले और बाद में हमेशा दूध पीना चाहिए। उड़द- उड़द के लड्डू, उड़द की दाल, दूध में बनाई हुई उड़द की खीर का सेवन करने से वीर्य की बढ़ोतरी होती है और संभोग शक्ति बढ़ती है। अंडा-  अंडे के अंदर वीर्य को बढ़ाने की बहुत ज्यादा क्षमता होती है। दूध के अंदर अंडे की जर्दी मिलाकर पीने से वीर्य बढ़ता है और संभोग करने की शक्ति भी तेज होती है। वैसे तो ज्यादातर लोग मुर्गी और मोरनी के अंडों का सेवन करते ही हैं लेकिन इनके अलावा चिड़िया के अंडों को भी बहुत ज्यादा वाजीकरण औषधि के र...

आंवला के गुण

आंवले में सारे रोग दूर करने के गुण व शक्ति होती है। आंवला युवकों को भी यौवन शक्ति प्रदान करता है तथा बूढ़ों को युवा जैसी शक्ति देता है। बशर्ते आंवला किसी न किसी रूप में रोज सेवन करें। आंवले में विटामिन सी भरपूर होता है। हर इंसान को प्रतिदिन 50 मिली ग्राम विटामिन सी की जरूरत होती है। एक आंवला दो संतरे के बराबर होता है। आंवले का मुरब्बा ताकत देने वाला होता है। 1. गर्भवती स्त्रियों को आंवला अवश्य लेना चाहिये। किसी भी रूप में लें। 2. आंवला एक अंण्डे से अधिक बल देता है। 3. आंवला ब्लडप्रेशर वालों के लिये लाभप्रद है। 4. आंवला टूटी हड्डियों को जोड़ने वाला है। 5. जिन्हें नकसीर होता हो (नाक से खून) सूखा आंवला रात में भिगाकर उस पानी से सर धोयें। आंवले का मुरब्बा खायें। आंवले का रस नाक में टपकायें। 6. आंवले का चूर्ण मूली में भरकर खाने से मूत्राशय की पथरी में लाभ होता है। 7. आंवले के रस में शहद मिलाकर खाने से मधुमेह में लाभ होता है। 8. रात के आंवले का चूर्ण भीगो कर पानी पीये सुबह पेट साफ होता है। पाचन शक्ति बढ़ती है। 9. नित्य 1-2 ताजे आंवले का रस पीने से पेट के कीड़े नष्ट ह...

हौसला

कुछ मेंढको का झुण्ड एक बार जंगल से गुज़र रहा था. वे ख़ुशी ख़ुशी जा रहे थे. पर अचानक उनमे से 2 मेंढक एक गड्ढे में गिर गए. वो गड्ढा इतना गहरा था की उसमे से छलांग लगाकर बहार आना बहुत ही मुश्किल था. जब बाकि सारे मेंढको ने ये देखा तो वो सभी उसके आस पास जमा हो गए. और उनका हौसला बढाने के बजाये कहने लगे की, अब तुम्हारा कुछ नहीं हो सकता. तुम यही मर जाओगे. पर गड्ढे में गिरे दोनों मेंढको ने उनकी बात को नजरंदाज़ किया. और बहार निकलने की कोशिश करने लगे. पर बाकि सभी उन्हें बाहर से चिल्लाने लगे की तुम नहीं कर सकते, तुम मर जाओगे. हार मन लों. आख़िरकार एक मेंढक ने उनकी बात सुन ली. और और उसने हार मन ली. वो थोड़ी देर बाद मर गया. जबकि दूसरा मेंढक अभी तक कोशिश कर रहा था. उसने हार नहीं मानी. और दूसरी और बाकि सभी मेंढक पूरी कोशिश कर रहे the की उसे निराश करने की. ताकि वो हार मान ले. पर उनकी कोशिशो के बावजूद, उस मेंढक ने आख़िरकार अपनी जान लगाकर छलांग लगायी. और बहार निकल आया. जब वो बहार आया. तो दुसरे मेंढको ने उसे पूछा की क्या तुम्हे सुनाई नहीं दिया हम जो कह रहे थे. तब पता लगा की वो मेंढक बहरा ...

भूत पीड़ा

भूतादि से पीड़ित व्यक्ति की पहचान उसके स्वभाव एवं क्रिया में आए बदलाव से की जाती है। अगल-अलग स्वाभाव परिवर्तन अनुसार जाना जाता है कि व्यक्ति कौन से भूत से पीड़ित है। भूत पीड़ा : यदि किसी व्यक्ति को भूत लग गया है तो वह पागल की तरह बात करने लगता है। मूढ़ होने पर भी वह किसी बुद्धिमान पुरुष जैसा व्यवहार भी करता है। गुस्सा आने पर वह कई व्यक्तियों को एक साथ पछाड़ सकता है। उसकी आंखें लाल हो जाती हैं और देह में सदा कंपन बना रहता है। पिशाच पीड़ा : पिशाच प्रभावित व्यक्ति सदा खराब कर्म करना है जैसे नग्न हो जाना, नाली का पानी पीना, दूषित भोजन करना, कटु वचन कहना आदि। वह सदा गंदा रहता है और उसकी देह से बदबू आती है। वह एकांत चाहता है। इससे वह कमजोर होता जाता है। प्रेत पीड़ा : प्रेत से पीड़ित व्यक्ति चिल्लाता और इधर-उधर भागता रहता है। वह किसी का कहना नहीं सुनता। वह हर समय बुरा बोलता रहता है। वह खाता-पीता नही हैं और जोर-जोर से श्वास लेता रहता है। शाकिनी पीड़ा : शाकिनी से ज्यादातर महिलाएं ही पीड़ित रहती हैं। ऐसी महिला को पूरे बदन में दर्द बना रहता है और उसकी आंखों में भी दर्द रह...

मतली

जब पेट के पदार्थों का पूरे जोश के साथ मुंह और नाक के ज़रिये निष्काशन होता है, तो उस प्रक्रिया को उल्टियों क नाम से जाना जाता है। उल्टियाँ होने के कई कारण होते हैं जैसे कि अधिक या दूषित खाना खाना, बीमारी, गर्भावस्था, मदिरापान, विषाणुजनित संक्रमण, उदर का संक्रमण, ब्रेन ट्यूमर, मष्तिष्क में चोट, इत्यादि। उल्टियाँ होने के एहसास को मतली के नाम से जाना जाता है, लेकिन यह उल्टियाँ आने से पहले का एहसास होत ा है, कारण नहीं। उल्टियों के घरेलू / आयुर्वेदिक उपचार *.उल्टियों को बंद करने के लिए एक बहुत ही उम्दा उपाय है और वह है किसी कार्बोनेट रहित सिरप का एक या दो चम्मच सेवन करना। इससे पाचन क्रिया में राहत मिलती है और उल्टियाँ बंद हो जाती हैं। ऐसे सिरप में करबोहाइड्रेट मौजूद होते हैं जो पेट को ठंडा रखते हैं। *.एक और उम्दा उपचार है अदरक और उसकी जड़। आप अदरक के 2 केप्स्युल का प्रयोग कर सकते हैं या अदरक वाली चाय का सेवन कर सकते हैं। अदरक में पाचनक्रिया अग्नि को बढ़ाने की क्षमता होती है, और यह उदर में से हो रहे भोजन-नली को परेशान करनेवाले उस अनावश्यक स्राव में बाधा पैदा करता है, जिस स्राव...

प्रकृति के संकेत खाद्य पदार्थ-

प्रकृति के संकेत खाद्य पदार्थ--- 1. अखरोट की रचना सिर की तरह होती है तथा उसके अंदर भरा हुआ गूदा मस्तिष्क की तरह होता है। यही गूदा पर्याप्त मात्रा में नियमित सेवन करने से सिर संबंधी समस्याओं पर कंट्रोल होता है तथा मस्तिष्क की कार्य क्षमता एवं क्रिया प्रणाली में पॉजीटिव प्रभाव नजर आने लगता है। 2. पिस्ता आँख की भाँति दिखाई देता है। पिस्ते के अंदर का खाया जाने वाला हरे रंग का हिस्सा आँख के लिए परम लाभदायक होता है, इसलिए नेत्रों के लिए परम लाभदायक होता है। नेत्र लाभ के लिए कुछ मात्रा में पिस्ते का सेवन हमें करना चाहिए या यूँ कहें कि नेत्र रोगों के इलाज में पिस्ता आपकी सहायता कर सकता है। 3. जिन्होंने किडनी को देखा है या जो उसके आकार से परिचित हैं, वे यह कह सकते हैं कि काजू, सोयाबीन तथा किडनी बीन जैसे कुछ मेवे तथा फली वाले अनाज वगैरह किडनी को स्वस्थ बनाए रखने में सहायक हो सकते हैं। 4. किशमिश या अंगूर की रचना पित्ताशय (गाल ब्लैडर) से बहुत कुछ 'मैच' करती है, इसीलिए पित्ताशय को चुस्त-दुरुस्त रखने के लिए किशमिश या अंगूर का सेवन लाभदायक हो सकता है। 5. बादाम का आकार...

गले और छाती

गले में किनती भी ख़राब से ख़राब बीमारी हो, कोई भी इन्फेक्शन हो, इसकी सबसे अच्छी दवा है हल्दी । जैसे गले में दर्द है, खरास है , गले में खासी है, गले में कफ जमा है, गले में टोनसीलाईटिस हो गया ; ये सब बिमारिओं में आधा चम्मच कच्ची हल्दी का रस लेना और मुह खोल कर गले में डाल देना , और फिर थोड़ी देर चुप होके बैठ जाना तो ये हल्दी गले में निचे उतर जाएगी लार के साथ ; और एक खुराक में ही सब बीमारी ठीक होगी दु बारा डालने की जरुरत नही । ये छोटे बच्चो को तो जरुर करना ; बच्चो के टोन्सिल जब बहुत तकलीफ देते है न तो हम ऑपरेशन करवाके उनको कटवाते है ; वो करने की जरुरत नही है हल्दी से सब ठीक होता है । गले और छाती से जुडी हुई कुछ बीमारिया है जैसे खासी ; इसका एक इलाज तो कच्ची हल्दी का रस है जो गले में डालने से तुरन्त ठीक हो जाती है चाहे कितनी भी जोर की खासी हो । दूसरी दवा है अदरक , ये जो अदरक है इसका छोटा सा टुकड़ा मुह में रख लो और ट़ाफी की तरह चुसो खासी तुरन्त बंद हो जाएगी । अगर किसी को खासते खासते चेहरा लाल पड़ गया हो तो अदरक का रस ले लो और उसमे थोड़ा पान का रस मिला लो दोनों एक एक चम्मच और उसमे मिल...

( मधुमेह)

( मधुमेह) Diabities नियंत्रित करने के लिए  -----_________________________ ___________________________ सुबह 1-2 किलो कच्चा करेला टुकड़े - टुकड़े करके तसले में डाल दें और अपने पैरों से 1/2 से 3/4 घंटे तक तक कुचलें जब तक जीभ में कड़वाहट का अहसास ना हो l 7-10 दिन तक ये प्रयोग करेंl इससे Diabetes नियंत्रित होती है l भिन्डी के पौधे सूखे होते हैं, उनको कूट दो, मैदा छान कर लो l 1-2 चम्मच पाउडर और शक्कर मिलाकर, पानी से पी लो l इससे भी Diabetes कण्ट्रोल होती है l

खुजली का घरेलू उपचार

खुजली का घरेलू उपचार ------------------------- *नींबू का रस बराबर मात्रा में अलसी के तेल के साथ मिलाकर खुजली वाली जगह पर मलने से हर तरह की खुजली से छुटकारा मिलता है। *नारियल के ताज़े रस और टमाटर का मिश्रण खुजली वाली जगह पर लगाने से भी खुजली दूर हो जाती है। *अगर खुजली पूरे शरीर में फैल रही है तो 3 या 4 दिनों तक पीसी हुई अरहर की दाल दही में मिश्रित करके पूरे शरीर पर लगायें। इससे खुजली फैलने से रुक  जायेगी और जल्द ही गायब भी हो जायेगी। *शुष्क त्वचा के कारण होने वाली खुजली को दूध की क्रीम लगाने से कम किया जा सकता है। *खुजली वाली त्वचा पर नारियल तेल अथवा अरंडी का तेल लगाने से बहुत फायदा मिलता है। *बबूल के पेड़ की छाल से एक्ज़िमा के कारण हो रही खुजली नियंत्रण में आती है।

आंखों की रोशनी

ज्यादा टी.वी. देखने लगातार कम्प्यूटर स्क्रीन पर काम करने या अन्य कारणों से अक्सर देखने में आता है कि कम उम्र के लोगों को भी जल्दी ही मोटे नम्बर का चश्मा चढ़ जाता है। अगर आपको भी चश्मालगा है तो आपका चश्मा उतर सकता है।नीचे बताए नुस्खों को चालीस दिनों तक प्रयोग में लाएं। निश्चित ही चश्मा उतर जाएगा साथ थी आंखों की रोशनी भी तेज होगी। सुबह नंगे पैर घास पर मार्निंग वॉक करें। नियमित रूप से अनुलोम-विलोम  प्राणायाम करें। बादाम की गिरी, बड़ी सौंफ और मिश्री तीनों का पावडर बनाकर रोज एक चम्मच एक गिलास दूध के साथ रात को सोते समय लें। त्रिफला के पानी से आंखें धोने से आंखों की रोशनी तेज होती है। पैर के तलवों में सरसों का तेल मालिश करने से आंखों की रोशनी तेज होती है। सुबह उठते ही मुंह में ठण्डा पानी भरकर मुंह फुलाकर आंखों पर छींटे मारने से आंखों की रोशनी बढ़ती है।

उत्तम जड़ी-बूटी है शिलाजीत

उत्तम जड़ी-बूटी है शिलाजीत भारतीय जड़ी-बूटियों में शिलाजीत का एक विशिष्ट स्थान है। आयुर्वेद ने शिलाजीत की बहुत प्रशंसा कीहै और इसकी गुणवत्ता को प्रतिष्ठित किया है। आयुर्वेद के बलपुष्टिकारक, ओजवर्द्धक, दौर्बल्यनाशक एवं धातु पौष्टिक अधिकांश नुस्खों में शिलाजीत का प्रयोग किया जाता है। इसकी एक बहुत बड़ी विशेषता यह है कि यह सिर्फ रोग ग्रस्त का रोग दूर करने के लिए ही उपयोगी नहीं है, बल्कि स्वस्थ व्यक्ति  के लिए भी उपयोगी है। इसे यौन दौर्बल्य यानी नपुंसकता से पीड़ित विवाहित व्यक्ति ही नहीं, अविवाहित युवक भी सेवन कर सकता है। विशेषकर मधुमेह, धातु क्षीणता, बहुमूत्र, स्वप्नदोष, सब प्रकार के प्रमेह, यौन दौर्बल्य यानी नपुंसकता, शरीर की निर्बलता, वृद्धावस्था की निर्बलता आदि व्याधियों को दूर करने के लिए शिलाजीत उत्तम गुणकारी सिद्ध होती है। ऐसा कोई साध्य रोग नहीं है, जिसे उचित समय पर, उचित योगों के साथ विधिपूर्वक किया गया शिलाजीत का प्रयोगनष्ट न कर सके। शिलाजीत सब प्रकार की व्याधियों को नष्ट करने के लिए प्रसिद्ध है। स्वप्नदोष : स्वप्नदोष से ज्यादातर तो अविवाहित युवक ही पीड़ित पाए जाते हैं पर विव...

अश्वगंधा

अश्वगंधा, जिसे कि विन्टर चेरी भी कहा जाता है, एक अत्यन्त लोकप्रिय आयुर्वेदिक औषधि है। वनस्पति शास्त्र में इसे “withania somnifera” के नाम से जाना जाता है। अश्वगंधा का प्रयोग तनाव मुक्ति के लिये किया जाता है। अध्ययन से ज्ञात हुआ है कि अश्वगंधा में “एन्टी इंफ्लेमेटरी”, “एंट ट्यूमर”, “एंटी स्ट्रेस” तथा “एंटीआक्सीडेंट”गुण पाये जाते हैं। • आयुर्वेद में अश्वगंधा कोएक ऐसा रसायन माना जाता है जो कि स्व ास्थ्य तथा आयु में वृद्धिकारक है। • अश्वगंधा मनोवैज्ञानिक क्रियाओं को सामान्य बनाये रखता है। • अश्वगंधा के जड़ तथा फलियों को आयुर्वेदिक औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है। • भारत में अश्वगंधा का प्रयोग प्रायः मानसिक कमियों को दूर करने के लियेकिया जाता है। अश्वगंधा एक झाड़ीदार रोमयुक्त पौधा है। अश्वगंधा कहने को एक पौधा है, लेकिन यह बहुवर्षीय पौधा पौष्टिक जड़ों से युक्त है। अश्वगंधा के बीज, फल एवं छाल का विभिन्न रोगों के उपचार में प्रयोग किया जाता है। आइए जानें अंश्वगंधा पौधें के अनेक फायदों के बारे में। • अश्वगंधा पौधे की पत्तियां त्वचा रोग, शरीर की सूजन एवं शरीर पर पड़े घाव और जख्म भरने जैसी ...

इलायची

गर्मियों में हो जाए इलायचीवाली एक कप चाय !!! इलायची की एक बहुत ही आकर्षक गंध है जो तंत्रिकाओं को शांत करना करसकते है। जब एक व्यक्ति को उदास है, उस में इलायची डाल द्वारा बनाई गई चाय लगभग चमत्कारी प्रभाव हो सकता है।इलायची में एंटीआक्सीडेंट होता है। इसीलिए इससे रोगप्रतिरोधक क्षमता तो बढ़ती ही है। साथही चेहरे पर जल्दी झुर्रियां नहीं पड़ती व चेहरे की चमक भी बढ़ती है। इलायची डालने से एक कप चाय का गुण कई  गुना बढ़ जाता है। इलायची के कुछ अन्य उपयोग भी इस प्रकार है। - इलायची को मोटे तौर पर दांतों में संक्रमण के इलाजके लिए इस्तेमाल किया जाता है। - यह गैस में राहत पहुंचानेके साथ कलेजे की जलन को कम करती है। - इलायची का पेस्ट बनाकर माथे पर लगाएं। सिरदर्द मेंतुरंत आराम मिलेगा। - धूप में जाते समय मुंह में इलायची जरूर डालें। - मुंह से दुर्गन्ध आती हो, इसका इस्तेमाल करें। - सफर में मुंह में इलायची रखें। उल्टी नहीं आएगी। - सांस लेने में तकलीफ हो तो, मुंह में एक इलायची डालें, आराम मिलेगा। - अस्थमा और कफ के रोगी इलायची के पाउडर को शहद के साथ चाटें। फायदा मिलेगा। - यदि आवाज बैठी हुई है या गले में खराश...

गर्भस्थापन

गर्भस्थापन के लिएःगर्भस्थापन :ऋतुकाल में यदि वन्ध्या स्त्री पुष्य  नक्षत्र में लाकर रखे हुए वटशुंग (बड़ के कोंपलों) के चूर्ण को जल के साथ सेवन करे तो उसे अवश्य गर्भधारण होता है। - आयुर्वेदाचार्य  शोढलबल-वीर्य की वृद्धिःबड़ के कच्चे फल छाया में सुखा के चू र्ण बना लें। बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर रख लें।  10 ग्राम चूर्ण सुबह-शाम दूध के साथ 40 दिन तक सेवन करने से बल-वीर्य और स्तम्भन (वीर्यस्राव को रोकने की)शक्ति में भारी  वृद्धि होती है। निम्न रक्तचाप में:10 बूँद बरगद का दूध, लहसुन का रस आधा चम्मच तथा तुलसी का रस आधा चम्मच इन तीनों को मिलाकर  चाटने से निम्न रक्तचाप में आराम मिलता है। छाइयाँ :बरगद का दूध चेहरे पर प्रतिदिन मलें। बीस मिनट बाद ठंडे पानी से धो डालें। बरगद के दूध में बहुत शक्ति व शीतलता होती  है। इससे एक सप्ताह में आपकी छाइयाँ समाप्त हो गाँठ:शरीर में कहीं गठान हो तो प्रारम्भिक स्थिति में तो गाँठ बैठ जाती है और  बढ़ी  हुई स्थिति में पककर फूट जाती है।अतिसार में:दूध को नाभि में भरकर थोड़ी देर लेटने से अतिसार में आराम होत...

~गुनगुना पानी~

~गुनगुना पानी~ इसमें कोई शक नही पानी स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद है लेकिन गर्म पानी भी औषधीय गुणों की खान है. - पानी को थोड़ा गर्म करके पी लें तो कब्ज को दूर करने में भी मदद मिलती है. - गर्म पानी से स्नान थकान मिटाने, त्वचा को निखारने और इसकी बीमारियों को दूर करने का सबसे अच्छा साधन है. - गर्म पानी का इस्तेमाल वजन कम करने, रक्त प्रवाह को संतुलित बनाने और रक्त प्रवाह का संचार ठीक से करने में भी लाभ कारी है. - गुनगुने पानी को मुंह में घुमा घुमा कर घूंट घूंट करके पीने से मोटापा नियंत्रित होता है. - गुनगुना पानी शरीर में मौजूद गंदगी को साफ करने कीप्रक्रिया तेज करता है और गुर्दों के माध्यम से गंदगीबाहर निकल जाती हैं. - शाररिक श्रम करने के पहलेथोड़ा गुनगुना पानी पी ले थकान कम महसूस होगी और आपकाशरीर ज्यादा हल्का महसूस करेगा. - गर्म पानी के साथ नींबू और शहद का मिश्रण बनाकर सेवन करने से आपकी प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है और वजन कम करने में भी ये नुस्खा लाभदायक है। - ठंडे पानी को जहां गुर्दों के लिए हानिकारक माना जाता है वही गुर्दों की सेहत अच्छी बनाए रखने केलिए दिन में कम से कम दो बारयानी सुबह-शा...

भूत भगाने के 10 सरल उपाय

भूत भगाने के 10 सरल उपाय हिन्दू धर्म में भूतों से बचने के अनेक उपाय बताए गए हैं। चरक संहिता में प्रेत बाधा से पीड़ित रोगी के लक्षण और निदान के उपाय विस्तार से मिलते हैं।  ज्योतिष साहित्य के मूल ग्रंथों- प्रश्नमार्ग, वृहत्पराषर, होरा सार, फलदीपिका, मानसागरी आदि में ज्योतिषीय योग हैं जो प्रेत पीड़ा, पितृ दोष आदि बाधाओं से मुक्ति का उपाय बताते हैं। अथर्ववेद में भूतों और दुष्ट आत्माओं को भगाने से संबंधित अनेक उपायों का वर्णन मिलता है। यहां प्रस्तुत है प्रेतबाधा से मुक्ति के 10 सरल उपाय। 1. ॐ या रुद्राक्ष का अभिमंत्रित लॉकेट गले में पहने और घर के बाहर एक त्रिशूल में जड़ा ॐ का प्रतीक दरवाजे के ऊपर लगाएं। सिर पर चंदन, केसर या भभूति का तिलक लगाएं। हाथ में मौली (नाड़ा) अवश्य बांध कर रखें। 2. दीपावली के दिन सरसों के तेल का या शुद्ध घी का दिया जलाकर काजल बना लें। यह काजल लगाने से भूत, प्रेत, पिशाच, डाकिनी आदि से रक्षा होती है और बुरी नजर से भी रक्षा होती है। 3. घर में रात्रि को भोजन पश्चात सोने से पूर्व चांदी की कटोरी में देवस्थान या किसी अन्य पवित्र स्थल पर कपूर तथा लौंग जला दें। इससे आक...

आर्थराइटिस का उपचार

आर्थराइटिस का उपचार : १. दोनों तरह के आर्थराइटिस (Osteoarthritis और Rheumatoid arthritis) मे आप एक दावा का प्रयोग करे जिसका नाम है चुना, वोही चुना जो आप पान म े खाते हो | गेहूं के दाने के बराबर चुना रोज सुबह खाली पेट एक कप दही मे मिलाके खाना चाहिए, नही तो दाल मे मिलाके, नही तो पानी मे मिलाके पीना लगातार तिन महीने तक, तो आर्थराइटिस ठीक हो जाती है | ध्यान रहे पानी पिने के समय हमेशा बैठ के पीना चाहिए नही तो ठीक होने मे समय लगेगा | अगर आपके हात या पैर के हड्डी मे खट खट आवाज आती हो तो वो भी चुने से ठीक हो जायेगा | २. दोनों तरह के आर्थराइटिस के लिए और एक अछि दावा है मेथी का दाना | एक छोटा चम्मच मेथी का दाना एक काच की गिलास मे गरम पानी लेके उसमे डालना, फिर उसको रात भर भिगोके रखना | सबेरे उठके पानी सिप सिप करके पीना और मेथी का दाना चबाके खाना | तिन महीने तक लेने से आर्थराइटिस ठीक हो जाती है | ध्यान रहे पानी पिने के समय हमेशा बैठ के पीना चाहिए नही तो ठीक होने मे समय लगेगा | ३. ऐसे आर्थराइटिस के मरीज जो पूरी तरह बिस्तर पकड़ जुके है, चाल्लिस साल से तकलीफ है या तिस साल स...

गुड के औषधीय गुण

गुड के औषधीय गुण गुड़ गन्ने से तैयार एक शुद्ध, अपरिष्कृत पूरी चीनीहै। यह खनिज और विटामिन है जो मूल रूप से गन्ने के रस में ही मौजूद हैं। यह प्राकृतिक होता है। पर लिए ज़रूरी है की देशी गुड लिया जाए , जिसके रंग साफ़ करने में सोडा या अन्य केमिकल ना हो।यह थोड़े गहरे रंग का होगा।इसे चीनी का शुद्धतम रूप माना जाता है।  गुड़ का उपयोग मूलतः दक्षिण एशिया मे किया जाता है। भारत के ग्रामीण इलाकों मे गुड़ का उपयोग  चीनी के स्थान पर किया जाता है। गुड़ लोहतत्व का एक प्रमुख स्रोतहै और रक्ताल्पता (एनीमिया) केशिकार व्यक्ति को चीनी के स्थान पर इसके सेवन की सलाह दी जाती है। आयुर्वेदिक चिकित्सा के अनुसार गुड़ का उपभोग गले और फेफड़ों केसंक्रमण के उपचार में लाभदायक होता है। - देशी गुड़ प्राकृतिक रुप से तैयार किया जाता है तथा कोई रसायन इसके प्रसंस्करण के लिए उपयोग नहीं किया जाता है, जिससे इसे अपने मूल गुण को नहीं खोना पड़ता है, इसलिए यह लवण जैसे महत्वपूर्ण खनिज से युक्त होता है। - गुड़ सुक्रोज और ग्लूकोज जो शरीर के स्वस्थ संचालन के लिए आवश्यक खनिज और विटामिन का एक अच्छा स्रोत है। - गुड़ मैग्नीशियम का ...

फाइलेरिया

फाइलेरिया का एलोपेथी में कोई इलाज नहीं . कपाल भाति प्राणायाम आधा आधा घंटा करने से ही ये ठीक हो जाता है . इससे वेरिकोज़ वेंस की समस्या ठीक हो जाती है .  इसके अलावा इसमें आयुवेदिक दवाइयां -आरोग्य वर्धिनी वटी ,कचनार गुग्गुल ,पुनर्नवादी गुग्गुल और काढा इत्यादि काम आती है .. नित्यानंद रस , अपामार्ग , दशमूल क्वाथ,देवदार , गोक्शुरादी गुग्गुल,गोमूत्र हरीतकी भी इसमें लाभकारी है . पर कपाल भाति प्राणायाम कम से कम आधा घंटा करना अत्यावश्यक है . जिस क्षेत्र में फाइलेरिया अधिक है ; वहां ३ बेल पत्र रोज़ खाने से इससेबचा जा सकता है .१० लहसुन कीकलियाँ रोज़ खाना भी लाभकारी है .यह अधिकतर कफ दोष से होता है , पर कभी कभी वात दोष भी देखा गया है . इसलिए पञ्च कर्म चिकित्सा भी अवश्य लें 

( मधुमेह) Diabities नियंत्रित करने के लिए

( मधुमेह) Diabities नियंत्रित करने के लिए  -----_________________________ ___________________________ सुबह 1-2 किलो कच्चा करेला टुकड़े - टुकड़े करके तसले में डाल दें और अपने पैरों से 1/2 से 3/4 घंटे तक तक कुचलें जब तक जीभ में कड़वाहट का अहसास ना हो l 7-10 दिन तक ये प्रयोग करेंl इससे Diabetes नियंत्रित होती है l भिन्डी के पौधे सूखे होते हैं, उनको कूट दो, मैदा छान कर लो l 1-2 चम्मच पाउडर और शक्कर मिलाकर, पानी से पी लो l इससे भी Diabetes कण्ट्रोल होती है l एडमिन-अंशुमन

स्वप्नदोष दूर करने के कुछ सरल उपाय

स्वप्नदोष दूर करने के कुछ सरल उपाय ------------------------------ By- Nature Care Society * तुलसी की जड़ का काढा ४-५ चमच्च की मात्रा में नियमित रूप से सोने से पहले कुछ हफ़्तों तक पीने से स्वप्नदोष दूर होता है l *एक चमच्च की मात्रा में बड़े गोखरू के फल का चूर्ण , थोडा घी और मिश्री मिलाकर एक हफ्ते तक सुबह शाम लेने से भी स्वप्नदोष दूर होता है l *अपामार्ग की जड़ का चूर्ण और मिश्री को समान मात्रा में पीस कर एक साथ मिश्रण कर लें ! इस मिश्रण को एक चमच्च की मात्रा में दिन में तीन बार दो हफ्ते तक सेवन करने से स्वप्नदोष से छुटकारा मिल जाता है l *इसबगोल और मिश्री बराबर मिलाकर एक चमच्च एक कप दूध के साथ रात को सोने से एक घंटे पहले लें और उसके बाद सोते समय मूत्र त्याग करके सो जाएँ ! इससे भी स्वप्नदोष का निराकरण होता है l *आँवले के रस में इलायची के दाने और इसबगोल बराबर की मात्रा में मिलाकर सुबह शाम एक एक चमच्च का सेवन करने से भी स्वप्नदोष दूर होता है l
उरद की दाल से बना दही वड़ा । ______________________ मित्रो आयूर्वेद के अनुसार कभी भी दो विरुद्ध वस्तूये एक साथ नहीं खानी चाहिए । विरुद्ध वस्तुओ से अभिप्राय ऐसी वस्तूए जिनका गुण - धर्म अलग हो । ऐसी कुछ 103 चीज़े आयूर्वेद में बाताई गई है । जो एक साथ कभी नहीं खानी चाहिए । उदाहरण के लिये प्याज और दूध कभी एक साथ न खाये । एक दुसरे के जानी दुशमन हैं । इसको खाने से सबसे ज्यादा चमड़ी के रोग आपको होगें दाद,खाज ,खुजली,एगसिमा ,सोराईसिस, आदि । ऐसी ही कटहल (jack fruit )और दूध कभी न खाये । ये भी जानी दुश्मन हैं । ऐसे ही खट्टे फ़ल जिनमे सिट्रिक ऐसिड होता है कभी न खायें । एक सिट्रिक ऐसिड तो इनसान का बनाया है एक भगवान का बनाया है । जैसे संतरा । कभी दूध के साथ न खाये । आयुर्वेद के अनुसार अगर कोई खट्‌टा फ़ल दूध के साथ खाने वाला है वो एक ही है आवला । आवला दूध के साथ जरुर खाये । इसी तरह शहद और घी कभी भी एक साथ न खायें । आम की दोस्ती दूध से जबरद्स्त हैं लेकिन खट्टे आम की नहीं |इसलिये मैग़ो शेक पी रहे है तो ध्यान रखे आम खट्‌टा ना हो । । ऐसी ही उरद की दाल और दही एक दुसरे के जानी ...

एसिडिटी

एसिडिटी के लिए घरेलू नुस्खे –एसिडिटी होने पर मुलेठी का चूर्ण या काढ़ा बनाकर उसका सेवन करना चाहिए। इससे एसिडिटी में फायदा होता है। नीम की छाल का चूर्ण या रात में भिगोकर रखी छाल का पानी छानकर पीनाचाहिए। ऐसा करने से अम्लापित्त या एसिडिटी ठीक हो जाता है। एसिडिटी होने पर त्रिफला चूर्ण का प्रयोग करने से फायदा होता है। त्रिफला को दूध के साथ पीनेसे एसिडिटी समाप्त होती है। दूध में मुनक्का डालकर उबालना चाहिए। उसके बाद दूधको ठंडा करके पीने से फायदा होता है और एसिडिटी ठीक होती है। एसिडिटी के मरीजों को एक गिलास गुनगुने पानी में चुटकी भर काली मिर्च का चूर्ण तथा आधा नींबू निचोड़कर नियमित रूप से सुबह पीना चाहिए। ऐसा करने से पेट साफ रहता है और एसिडिटी में फायदा होता है। सौंफ, आंवला व गुलाब के फूलों को बराबर हिस्से में लेकर चूर्ण बना लीजिए। इस चूर्ण को आधा-आधा चम्मच सुबह-शाम लेने से एसिडिटी में फायदा होता है। एसिडिटी होने पर सलाद के रूप में मूली खाना चाहिए। मूली काटकर उसपर काला नमक तथा कालीमिर्च छिडककर खाने से फायदा होता है। जायफल तथा सोंठ को मिलाकर चूर्ण बना लीजिए। इस चूर्...
खांसी का उपचार जितनी जल्दी हो जाएं उतना बेहतर है। आयुर्वेद में खांसी का स्थायी इलाज भी मौजूद हैं। आयुर्वेद के अनुसार, जब कफ सूखकर फेफड़ों और श्वसन अंगों पर जम जाता है तो खांसी होती है। आयुर्वेद की औषधिंयां खांसी में इतनी प्रभावशाली होती हैं कि इन्हें कोई भी आसानी से ले सकता है। सूखी खांसी होने पर अमृर्ताण्व रस सुबह-शाम पानी से लेनी चाहिए। सितोपलादि चूर्ण शहद में मिलाकर चाटने से खांसी में आराम मिलता है। तालिसादि चूर्ण दिन भर में दो-तीन बार लेने से खांसी में कमी आती है। हल्दी, गुड़ और पकी फिटकरी का चूर्ण मिलाकर गोलियां बनाकर लेने से खांसी कम होती है। तुलसी, काली मिर्च और अदरक की चाय खांसी में सबसे बढि़या रहती हैं। गुनगुने पानी से गरारे करने से गले को भी आराम मिलता है और खांसी भी कम होती है। सूखी खांसी में काली मिर्च को पीसकर घी में भूनकर लेना भी अच्छा रहता है। कुछ गोलियों को चूसने से भी खांसी में आराम मिलता है। चंदामृत रस भी खांसी में अच्छा रहता है। हींग, त्रिफला, मुलहठी और मिश्री को नीबू के रस में मिलाकर लेने से खांसी कम करने में मदद मिलती है। त्रिफला और शहद बराबर ...
एक हीरा व्यापारी था जो हीरे का बहुत बड़ा विशेषज्ञ माना जाता था । किन्तु किसी गंभीर बीमारी के चलते अल्प आयु में ही उसकी मृत्युहो गयी । अपने पीछे वह अपनीपत्नी और बेटा छोड़ गया । जब बेटा बड़ा हुआ तो उसकी माँ ने कहा, “बेटा , मरने से पहले तुम्हारे पिताजी ये पत्थर छोड़ गए थे, तुम इसे लेकर बाज़ार जाओ औरइसकी कीमतका पता लगाओ | लेकिन ध्यान रहे कि तुम्हे केवल कीमत पता करनी है, इसे बेचना नहीं है |” युवक पत्थर लेकर निकला, सबसे पहलेउसे एक सब्जी बेचने वाली महिला मिली | ”अम्मा, तुम इस पत्थर के बदले मुझेक्या दे सकती हो ?”, युवक ने पूछा | ”देना ही है तो दो गाजरों के बदले मुझे ये दे दो | तौलने के काम आएगा|”- सब्जी वाली बोली । युवक आगे बढ़ गया । इस बार वो एक दुकानदार के पास गया और उससे पत्थर की कीमत जानना चाही । दुकानदार बोला, ” इसके बदले मैं अधिक से अधिक 500 रूपये दे सकता हूँ, देना हो तो दो नहीं तो आगे बढ़ जाओ” | युवक इस बार एक सुनार के पास गया, सुनार ने पत्थर के बदले 20 हज़ार देने की बात की | फिर वह हीरे की एक प्रतिष्ठित दुकान पर गया वहां उसे पत्थर के बदले 1 लाख रूपये का प्रस्ताव मिला | ...