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गर्भस्थापन

गर्भस्थापन के लिएःगर्भस्थापन :ऋतुकाल में यदि वन्ध्या स्त्री पुष्य 

नक्षत्र में लाकर रखे हुए वटशुंग (बड़ के कोंपलों) के चूर्ण को जल के साथ सेवन करे तो उसे अवश्य गर्भधारण होता है। - आयुर्वेदाचार्य

 शोढलबल-वीर्य की वृद्धिःबड़ के कच्चे फल छाया में सुखा के चूर्ण बना लें। बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर रख लें।

 10 ग्राम चूर्ण सुबह-शाम दूध के साथ 40 दिन तक सेवन करने से बल-वीर्य और स्तम्भन (वीर्यस्राव को रोकने की)शक्ति में भारी 

वृद्धि होती है।

निम्न रक्तचाप में:10 बूँद बरगद का दूध, लहसुन का रस आधा चम्मच तथा तुलसी का रस आधा चम्मच इन तीनों को मिलाकर 

चाटने से निम्न रक्तचाप में आराम मिलता है।

छाइयाँ :बरगद का दूध चेहरे पर प्रतिदिन मलें। बीस मिनट बाद ठंडे पानी से धो डालें। बरगद के दूध में बहुत शक्ति व शीतलता होती 

है। इससे एक सप्ताह में आपकी छाइयाँ समाप्त हो गाँठ:शरीर में कहीं गठान हो तो प्रारम्भिक स्थिति में तो गाँठ बैठ जाती है और 

बढ़ी हुई स्थिति में पककर फूट जाती है।अतिसार में:दूध को नाभि में भरकर थोड़ी देर लेटने से अतिसार में आराम होता है।

बिवाइयाँ:हाथ पैर में बिवाइयाँ फटी हों तो उसमें बरगद का दूध लगाने से ठीक हो जाती हैं।दाँत का दर्द :दाँतों में बड़ का दूध लगाने से 

दाँत का दर्द समाप्त हो जाता है

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