उत्तम जड़ी-बूटी है शिलाजीत
भारतीय जड़ी-बूटियों में शिलाजीत का एक विशिष्ट स्थान है। आयुर्वेद ने शिलाजीत की बहुत प्रशंसा कीहै और इसकी गुणवत्ता को प्रतिष्ठित किया है।
आयुर्वेद के बलपुष्टिकारक, ओजवर्द्धक, दौर्बल्यनाशक एवं धातु पौष्टिक अधिकांश नुस्खों में शिलाजीत का प्रयोग किया जाता है।
इसकी एक बहुत बड़ी विशेषता यह है कि यह सिर्फ रोग ग्रस्त का रोग दूर करने के लिए ही उपयोगी नहीं है, बल्कि स्वस्थ व्यक्ति के लिए भी उपयोगी है।
इसे यौन दौर्बल्य यानी नपुंसकता से पीड़ित विवाहित व्यक्ति ही नहीं, अविवाहित युवक भी सेवन कर सकता है।
विशेषकर मधुमेह, धातु क्षीणता, बहुमूत्र, स्वप्नदोष, सब प्रकार के प्रमेह, यौन दौर्बल्य यानी नपुंसकता, शरीर की निर्बलता, वृद्धावस्था की निर्बलता आदि व्याधियों को दूर करने के लिए शिलाजीत उत्तम गुणकारी सिद्ध होती है।
ऐसा कोई साध्य रोग नहीं है, जिसे उचित समय पर, उचित योगों के साथ विधिपूर्वक किया गया शिलाजीत का प्रयोगनष्ट न कर सके। शिलाजीत सब प्रकार की व्याधियों को नष्ट करने के लिए प्रसिद्ध है।
स्वप्नदोष : स्वप्नदोष से ज्यादातर तो अविवाहित युवक ही पीड़ित पाए जाते हैं पर विवाहित पुरुष भी इससे अछूते नहीं हैं-
* शुद्ध शिलाजीत 25 ग्राम, लौहभस्म 10 ग्राम, केशर 2 ग्राम, अम्बर 2 ग्राम, सबको मिलाकर खरल में खूब घुटाई करके महीन कर लें और 1-1 रत्ती की गोलियां बना लें। एक गोली सुबह-शाम दूध के साथ सेवन करने से स्वप्नदोषहोना तो बंद होता ही है, साथही पाचनशक्ति, स्मरण शक्ति और शारीरिक शक्ति में भी वृद्धि होती है, इसलिए यह प्रयोग छात्र-छात्राओं के लिए भी उपयोगी है।
* शिलाजीत और बंगभस्म 20-20 ग्राम, लौहभस्म 10 ग्राम और अभ्रक भस्म 5 ग्राम, सबको मिलाकर खरल मेंघुटाई करके मिला लें और 2-2रत्ती की गोलियां बना लें। सुबह-शाम एक-एक गोली दूध केसाथ सेवन करने से स्वप्नदोषहोना बंद होता है और शरीर में बलपुष्टि आती है। यदि शीघ्रपतन के रोगी विवाहित पुरुष इसे सेवन करें तो उनकी यह व्याधि नष्ट होती है। खटाई और खट्टे पदार्थोंका सेवन बंद करके इन दोनों में से कोई एक नुस्खा कम से कम 60 दिन तक सेवन करना चाहिए।
भारतीय जड़ी-बूटियों में शिलाजीत का एक विशिष्ट स्थान है। आयुर्वेद ने शिलाजीत की बहुत प्रशंसा कीहै और इसकी गुणवत्ता को प्रतिष्ठित किया है।
आयुर्वेद के बलपुष्टिकारक, ओजवर्द्धक, दौर्बल्यनाशक एवं धातु पौष्टिक अधिकांश नुस्खों में शिलाजीत का प्रयोग किया जाता है।
इसकी एक बहुत बड़ी विशेषता यह है कि यह सिर्फ रोग ग्रस्त का रोग दूर करने के लिए ही उपयोगी नहीं है, बल्कि स्वस्थ व्यक्ति के लिए भी उपयोगी है।
इसे यौन दौर्बल्य यानी नपुंसकता से पीड़ित विवाहित व्यक्ति ही नहीं, अविवाहित युवक भी सेवन कर सकता है।
विशेषकर मधुमेह, धातु क्षीणता, बहुमूत्र, स्वप्नदोष, सब प्रकार के प्रमेह, यौन दौर्बल्य यानी नपुंसकता, शरीर की निर्बलता, वृद्धावस्था की निर्बलता आदि व्याधियों को दूर करने के लिए शिलाजीत उत्तम गुणकारी सिद्ध होती है।
ऐसा कोई साध्य रोग नहीं है, जिसे उचित समय पर, उचित योगों के साथ विधिपूर्वक किया गया शिलाजीत का प्रयोगनष्ट न कर सके। शिलाजीत सब प्रकार की व्याधियों को नष्ट करने के लिए प्रसिद्ध है।
स्वप्नदोष : स्वप्नदोष से ज्यादातर तो अविवाहित युवक ही पीड़ित पाए जाते हैं पर विवाहित पुरुष भी इससे अछूते नहीं हैं-
* शुद्ध शिलाजीत 25 ग्राम, लौहभस्म 10 ग्राम, केशर 2 ग्राम, अम्बर 2 ग्राम, सबको मिलाकर खरल में खूब घुटाई करके महीन कर लें और 1-1 रत्ती की गोलियां बना लें। एक गोली सुबह-शाम दूध के साथ सेवन करने से स्वप्नदोषहोना तो बंद होता ही है, साथही पाचनशक्ति, स्मरण शक्ति और शारीरिक शक्ति में भी वृद्धि होती है, इसलिए यह प्रयोग छात्र-छात्राओं के लिए भी उपयोगी है।
* शिलाजीत और बंगभस्म 20-20 ग्राम, लौहभस्म 10 ग्राम और अभ्रक भस्म 5 ग्राम, सबको मिलाकर खरल मेंघुटाई करके मिला लें और 2-2रत्ती की गोलियां बना लें। सुबह-शाम एक-एक गोली दूध केसाथ सेवन करने से स्वप्नदोषहोना बंद होता है और शरीर में बलपुष्टि आती है। यदि शीघ्रपतन के रोगी विवाहित पुरुष इसे सेवन करें तो उनकी यह व्याधि नष्ट होती है। खटाई और खट्टे पदार्थोंका सेवन बंद करके इन दोनों में से कोई एक नुस्खा कम से कम 60 दिन तक सेवन करना चाहिए।
what is difference between shilajit paste ( mineral pitch ) and shilajit powder . please guide me for the same .
ReplyDeletethanks .
Raju pandey
mpb: 9357734517