गणपतये नम: मंत्र बदलते हैं जिन्दगी विश्व पटल पर भारत कला साहित्य व संस्कृति के साथ साथ आघ्यात्मिक दृष्टिकोण से व विशेष रूप से यंत्र मंत्र तंत्र के क्षेत्र में अघिक समृद्धिशाली है। यंत्र मंत्र तंत्र की पराविद्या द्वारा ईश दर्शन, परकाया प्रवेश, वशीकरण, उच्चाटन, युद्व विजय आदि की प्राप्ति में भारत की यह विद्या सर्वश्रेष्ठ है। इसी पराविद्या में से एक है मंत्र विद्या। जिसकी शक्ति अवर्णनीय है। मननात् त्रायते इति मंत्र:। मननत्राणघर्माणों मंत्रा:। अर्थात् मन को एकाग्र करके जप के द्वारा समस्त प्रकार के विषयों का नाश करके रक्षा करने वाले शब्दों को मंत्र कहा जाता है। इसमें मन और त्र ये दो शब्द हैं। ‘‘मन’ शब्द से मन को एकाग्र करना तथा ‘त्र’ शब्द से त्राण अर्थात रक्षा करना जिनका घर्म है और जप से जो अभिष्ट फल प्रदान करे वे मंत्र कहे जाते है। चन्द्रमा की सोलह कलाओं की तरह मंत्र साधना भी सोेेेेेलह अंगों से परिपूर्ण है। मंत्र साघना के सोलह मुख्य अंग है:-भक्ति, शुद्वि, आसन,पंचागसेवन, आचार ,घारणा,दिव्यदेश, प्राण क्रिया, मुद्रा ,तर्पण ,हवन,बलि,योग, जप,ध्यान ,समाघि। मंत्र क्या है इसकी विभिन्न मनिषियों,...