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Showing posts from 2014

छठी इंद्री

छठी इंद्री को अंग्रेजी में सिक्स्थ सेंस कहते हैं। सिक्स्थ सेंस को जाग्रत करने के लिए योग में अनेक उपाय बताए गए हैं। इसे परामनोविज्ञान का विषय भी माना जाता है। असल में यह संवेदी बोध का मामला है। गहरे ध्यान प्रयोग से यह स्वत: ही जाग्रत हो जाती है। मेस्मेरिज्म या हिप्नोटिज्म जैसी अनेक विद्याएँ इस छठी इंद्री के जाग्रत होने का ही कमाल होता है। क्या है छठी इंद्री : मस्तिष्क के भीतर कपाल के नीचे एक छिद्र है, उसे ब्रह्मरंध्र कहते हैं, वहीं से सुषुन्मा रीढ़ से होती हुई मूलाधार तक गई है। सुषुन्मा नाड़ी जुड़ी है सहस्रकार से। इड़ा नाड़ी शरीर के बायीं तरफ स्थित है तथा पिंगला नाड़ी दायीं तरफ अर्थात इड़ा नाड़ी में चंद्र स्वर और पिंगला नाड़ी में सूर्य स्वर स्थित रहता है। सुषुम्ना मध्य में स्थित है, अतः जब हमारी नाक के दोनों स्वर चलते हैं तो माना जाता है कि सुषम्ना नाड़ी सक्रिय है। इस सक्रियता से ही सिक्स्थ सेंस जाग्रत होता है। इड़ा, पिंगला और सुषुन्मा के अलावा पूरे शरीर में हजारों नाड़ियाँ होती हैं। उक्त सभी नाड़ियों का शुद्धि और सशक्तिकरण सिर्फ प्राणायाम और आसनों से ही होता है। शुद्धि और सशक्त...

प्राणायाम

योग के आठ अंगों में से चौथा अंग है प्राणायाम। प्राणायाम करते या श्वास लेते समय हम तीन क्रियाएँ करते हैं- 1.पूरक 2.कुम्भक 3.रेचक। इसे ही हठयोगी अभ्यांतर वृत्ति, स्तम्भ वृत्ति और बाह्य वृत्ति कहते हैं। अर्थात श्वास को लेना, रोकना और छोड़ना। अंतर रोकने को आंतरिक कुम्भक और बाहर रोकने को बाह्म कुम्भक कहते हैं। (1) पूरक:- अर्थात नियंत्रित गति से श्वास अंदर लेने की क्रिया को पूरक कहते हैं। श्वास धीरे-धीरे या तेजी से दोनों ही तरीके से जब भीतर खिंचते हैं तो उसमें लय और अनुपात का होना आवश्यक है। (2) कुम्भक:- अंदर की हुई श्वास को क्षमतानुसार रोककर रखने की क्रिया को कुम्भक कहते हैं। श्वास को अंदर रोकने की क्रिया को आंतरिक कुंभक और श्वास को बाहर छोड़कर पुन: नहीं लेकर कुछ देर रुकने की क्रिया को बाहरी कुंभक कहते हैं। इसमें भी लय और अनुपात का होना आवश्यक है। (3) रेचक:- अंदर ली हुई श्वास को नियंत्रित गति से छोड़ने की क्रिया को रेचक कहते हैं। श्वास धीरे-धीरे या तेजी से दोनों ही तरीके से जब छोड़ते हैं तो उसमें लय और अनुपात का होना आवश्यक है। प्राणायाम के प्रमुख प्रकार ( kind of pranayama) ...

परकाया प्रवेश क्या सत्य है

पुनर्जन्म की तरह परकाया प्रवेश क्या सत्य है अर्थात् एक भौतिक शरीर से दूसरे भौतिक शरीर में प्रवेश करना भी पूर्णतया सत्य है। एक बार वेदांत के महाज्ञाता आद्य शंकराचार्य का एक विदूषी महिला भारती से शास्त्रार्थ हुआ। धर्म दर्शन के प्रकाण्ड विद्वान अन्य विषयों में तो जीत गए परन्तु एक विषय में शास्त्रार्थ उनको बीच में ही रोकना पड़ा। महिला ने कामशास्त्र विषय छेड़कर परिस्थिति ही बिल्कुल विपरीत कर दी थी। विषयक चर्चा के लिए शंकराचार्य जी बिल्कुल ही अबोध और अन्जान थे। व्यवहार में आए बिना इस विषय पर चर्चा करना भी उनके लिए असम्भव था। उन्होंने ज्ञान प्राप्त करने के लिए समय मांगा। इस समयावधि में उन्होंने अपने सूक्ष्म शरीर को एक राजा के शरीर प्रवेश करवाया। दो शरीरों के मिलन का अनुभव अर्जित किया और तदनुसार भारती से चर्चा करके उसको शास्त्रार्थ में पराजित किया। परकाया प्रवेश का यह एक बहुत बड़ा उदाहरण है। हमारे दो शरीर हैं। एक स्थूल जो दृष्ट है और दूसरा सूक्ष्म शरीर जो सर्व साधारण को दृष्ट नहीं है। इसके रूप-स्वरूप की अलग-अलग तरीकों से परिकल्पनाएं की गयी हैं। परन्तु शास्त्र सम्मत सूक्ष्म शरीर क...

बादाम गिरी

एक ऐसा प्रयोग जो 40 दिन में आंखों की सारी कमजोरी दूर कर देगा.....! * आंखें हर इंसान को भगवान का दिया एक अनमोल तोहफा है।अगर इनका ख्याल न रखा जाए तो छोटी-सी परेशानी जिंदगी भर की तकलीफ बन सकती है। अधिकांश लोग आंखों की कमजोरी जैसे आंखों में से पानी आना, आंखों में जलन, लाल होना , आंखों में जाले आना, आंख का चिपकना, आंख की पलकों पर सूजन आना आदि परेशानियों को अनदेखा करते हैं। आगे चलकर ये लापरवाही ज्यादा परेशानी देने वाली साबित हो सकती है। इसीलिए रोजाना सुबह-शाम मुंह में पानी भरकर आंखों पर खूब पानी छिड़के। पर्याप्त नींद लें व साथ ही नीचे लिखे आयुर्वेदिक नुस्खें को भी अपनाएं। नुस्खा- * बादाम गिरी तथा साफ की हुई बढिय़ा सौंफ 100-100 ग्राम लें। सौंफ का महीन चूर्ण करें, इसमें बादाम गिरी को खूब महीन कतरकर तथा सौंफ के उक्त चूर्ण के साथ खूब अच्छी तरह पीसकर रखें। रोज रात इस मिश्रण को 10-10 ग्राम मात्रा में मुख में रखकर धीरे-धीरे खाकर सो जाएं, इसके ऊपर पानी या दूध नहीं पीना है।

बथुआ****वास्तुक और क्षारपत्र

#‎ आरोग्यं‬ -- ✏- बथुआ संस्कृत भाषा में वास्तुक और क्षारपत्र के नाम से जाना जाता है बथुआ एक ऐसी सब्जी या साग है, जो गुणों की खान होने पर भी बिना किसी विशेष परिश्रम और देखभाल के खेतों में स्वत: ही उग जाता है। एक डेढ़ फुट का यह हरा भरा पौधा कितने ही गुणों से भरपूर है। बथुआ के परांठे और रायता तो लोग चटकारे लगाकर खाते हैं बथुआ का शाक पचने में हल्का, रूचि उत्पन्न करने वाला, शुक्र तथा पुरुषत्व को बढ़ने वाला है | यह तीनों दोषों को शांत करके उनसे उत्पन्न विकारों का शम न करता है | विशेषकर प्लीहा का विकार, रक्तपित, बवासीर तथा कृमियों पर अधिक प्रभावकारी है | ✏- इसमें क्षार होता है , इसलिए यह पथरी के रोग के लिए बहुत अच्छी औषधि है। इसके लिए इसका 10-15 ग्राम रस सवेरे शाम लिया जा सकता है। ✏- यह कृमिनाशक मूत्रशोधक और बुद्धिवर्धक है। ✏-किडनी की समस्या हो जोड़ों में दर्द या सूजन हो ; तो इसके बीजों का काढ़ा लिया जा सकता है। इसका साग भी लिया जा सकता है। ✏- गर्भवती महिलाओं को बथुआ नहीं खाना चाहिए। ✏- एनीमिया होने पर इसके पत्तों के 25 ग्राम रस में पानी मिलाकर पिलायें। ✏- पेट के कीड...

बालों के लिये २७ प्रभावशाली उपाय

 --------आजकल युवावस्था में ही लोगों के बाल गिरने लगते हैं। बालों का गिरना किसी के लिए भी तनाव और चिंता का कारण हो सकता है। बालों के समय से पहले गिरने की समस्या यदि आनुवंशिक हो तो उसे एंड्रोजेनिक एलोपेसिया कहा जाता है। इस समस्या से परेशान पुरुषों में बाल गिरने की समस्या किशोरावस्था से ही हो सकती है, जबकि महिलाओं में इस प्रकार बाल गिरने की समस्या 30 की उम्र के बाद होती है।इसके अलावा, खान-पान और पर्यावरण प्रदूषण, दवा के रिएक्शन व कई अन्य कारणों की वजह से कम उम्र में गंजेपन की समस्या हो सकती है। यदि आप भी कम उम्र में गंजेपन की समस्या से जूझ रहे हैं, तो आज हम आपको बताने जा रहे हैं गंजापन दूर करने के कुछ  घरेलू उपाय।  - जटामांसी को नारियल तेल में उबाल लें। इस तेल को ठंडा करके किसी बोतल में भरकर रख लें। रोजाना रात को सोने से पहले इसकी मालिश करें। बालों का असमय सफेद होना और गिरना बंद  हो जाएगा।  -  जरूरत से ज्यादा नमक लेने से भी गंजापन जाता है। नमक और काली मिर्च एक-एक चम्मच और नारियल का तेल पांच चम्मच मिलाकर गंजेपन वाले स्थान पर लगाने...

मुद्रा

1. ज्ञान मुद्रा (चिन्मय मुद्रा) GYANA MUDRA ************************************* अंगूठे एवं तर्जनी अंगुली के स्पर्श से जो मुद्रा बनती है उसे ज्ञान मुद्रा कहते हैं | विधि : ——- 1. पदमासन या सुखासन में बैठ जाएँ | 2. अपने दोनों हाथों को घुटनों पर रख लें तथा अंगूठे के पास वाली अंगुली (तर्जनी) के उपर के पोर को अंगूठे के ऊपर वाले पोर से स्पर्श कराएँ | 3. हाँथ की बाकि अंगुलिया सीधी व एक साथ मिलाकर रखें | सावधानियां : ————- • ज्ञान मुद्रा से सम्पूर्ण लाभ पाने के लिए साधक को चाहिए कि वह सादा प्राकृतिक भोजन करे | • मांस मछली, अंडा,शराब,धुम्रपान,तम्बाकू,चाय,काफ़ी कोल्ड ड्रिंक आदि का सेवन न करें | • उर्जा का अपव्यय जैसे- अनर्गल वार्तालाप,बात करते हुए या सामान्य स्थिति में भी अपने पैरों या अन्य अंगों को हिलाना, ईर्ष्या, अहंकार आदि उर्जा के अपव्यय का कारण होते हैं, इनसे बचें | मुद्रा करने का समय व अवधि : —————————— • प्रतिदिन प्रातः, दोपहर एवं सांयकाल इस मुद्रा को किया जा सकता है | • प्रतिदिन 48 मिनट या अपनी सुविधानुसार इससे अधिक समय तक ज्ञान मुद्रा को किया जा सकता है | यदि एक बार में 48...

मत्स्यासन :

------------- विधि : -------- इस आसन को करने के लिए सबसे पहले पद्मासन लगाकर बैठ जाएं। पद्मासन में बैठने के लिए नीचे बैठकर दाहिने पैर को घुटने से मोड़कर बाईं जांघ पर रखें और बाएं पैर को घुटने से मोड़कर दाईं जांघ पर रखें। पद्मासन में बैठने के बाद हाथों के सहारे से धीरे-धीरे पीठ के बल लेट जाएं। इस क्रिया को करते समय दोनों घुटने जमीन को छूते रहें तथा रीढ़ की हड्डी सीधी रखें। अपने दोनों हाथों की हथेलियों से सिर व गर्दन ऊठाते हुए सिर के अगले हिस्से को जमीन (फर्श) पर स्थिर करें। इसके बाद अपने दोनों हाथों को नितम्बों के दोनों ओर जमीन पर रखें । सांस स्वाभाविक रूप से लें। अब अपने दोनों हाथों को फैलाकर जांघों पर रखें या पैर के अंगूठे को पकड़ लें। बाएं हाथ से दाएं पैर का अंगूठा व दाएं हाथ से बाएं पैर का अंगूठा पकड़ लें। इस अवस्था में दोनों कोहनियों को जमीन पर लगाकर रखें। इस स्थिति में 10 से 15 सैकेंड तक रहें और फिर धीरे-धीरे अभ्यास को बढ़ाते हुए 5 मिनट तक ले जाएं। यह आसन पूर्ण होने के बाद पहले अंगूठे को छोड़े फिर कमर को सीधा कर पद्मासन को खोलकर अपने दोनों पैरों को फैला लें और कुछ देर तक लेटे रहें। यह ...

निडर बनना है तो -मूलाधार चक्र को जागृत करें

निडर बनना है तो -मूलाधार चक्र को जागृत करें  ****************************** * योग के विभूतिपाद में अ‍ष्टसिद्धि के अलावा अन्य अनेक प्रकार की सिद्धियों का वर्णन मिलता है। सभी सिद्धियों को प्राप्त करने के लिए चक्रों को जागृत करना चाहिए। मनुष्य शरीर स्थित कुंडलिनी शक्ति में जो चक्र स्थित होते हैं उनकी संख्या कहीं छ: तो कहीं सात बताई गई है। समय-समय पर चक्रों वाले स्थान पर ध्यान दिया जाए तो मानसिक स्वा स्थ्य और सुदृढ़ता के साथ ही सिद्धियां प्राप्त की जा सकती हैं तो जानते है मूलाधार चक्र को जाग्रत करने की विधि और इस चक्र से प्राप्त होती है कौन सी सिद्धि... मूलाधार चक्र : यह शरीर का पहला चक्र है। गुदा और लिंग के बीच चार पंखुरियों वाला यह 'आधार चक्र' है। 99.9 लोगों की चेतना इसी चक्र पर अटकी रहती है और वे इसी चक्र में रहकर मर जाते हैं। जिनके जीवन में भोग, संभोग और निद्रा की प्रधानता है उनकी ऊर्जा इसी चक्र के आसपास एकत्रित रहती है। मंत्र : लं चक्र जगाने की विधि : ------------------------ मनुष्य तब तक पशुवत है, जब तक कि वह इस चक्र में जी रहा है इसीलिए भोग, निद्रा और संभोग पर संयम रखते हुए...

गूलर एक महाऔषधि

गूलर एक महाऔषधि  *************** धातुदुर्बलता: • 1 बताशे में 10 बूंद गूलर का दूध डालकर सुबह-शाम सेवन करने और 1 चम्मच की मात्रा में गूलर के फलों का चूर्ण रात में सोने से पहले लेने से धातु दुर्बलता दूर हो जाती है। इस प्रकार से इसका उपयोग करन े से शीघ्रपतन रोग भी ठीक हो जाता है। मर्दाना शक्तिवर्द्धक • 1 छुहारे की गुठली निकालकर उसमें गूलर के दूध की 25 बूंद भरकर सुबह रोजाना खाये इससे वीर्य में शुक्राणु बढ़ते हैं तथा संतानोत्पत्ति में शुक्राणुओं की कमी का दोष भी दूर हो जाता है। • 1 चम्मच गूलर के दूध में 2 बताशे को पीसकर मिला लें और रोजाना सुबह-शाम इसे खाकर उसके ऊपर से गर्म दूध पीएं इससे मर्दाना कमजोरी दूर होती है। • पका हुआ गूलर सुखाकर पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में इसी के बराबर की मात्रा में मिश्री मिलाकर किसी बोतल में भर कर रख दें। इस चूर्ण में से 2 चम्मच की मात्रा गर्म दूध के साथ सेवन करने से मर्दाना शक्ति बढ़ जाती है। 2-2 घंटे के अन्तराल पर गूलर का दूध या गूलर का यह चूर्ण सेवन करने से दम्पत्ति वैवाहिक सुख को भोगते हुए स्वस्थ संतान को जन्म देते हैं। बाजीकारक (काम उत्तेजना): • 4 से 6...

सर दर्द से राहत के लिए

१. तेज़ पत्ती की काली चाय में निम्बू का रस निचोड़ कर पीने से सर दर्द में अत्यधिक लाभ होता है. २ .नारियल पानी में या चावल धुले पानी में सौंठ पावडर का लेप बनाकर उसे सर पर लेप करने भी सर दर्द में आराम पहुंचेगा. ३. सफ़ेद चन्दन पावडर को चावल धुले पानी में घिसकर उसका लेप लगाने से भी फायेदा होगा. ४. सफ़ेद सूती का कपडा पानी में भिगोकर माथे पर रखने से भी आराम मिलता है. ५. लहसुन पानी में पीसकर उसका लेप भी सर दर्द में आरामदायक होता है. ६. लाल तुलसी के पत्तों को कुचल कर उसका रस दिन में माथे पर २ , ३ बार लगाने से भी दर्द में राहत देगा. ७. चावल धुले पानी में जायेफल घिसकर उसका लेप लगाने से भी सर दर्द में आराम देगा. ८. हरा धनिया कुचलकर उसका लेप लगाने से भी बहुत आराम मिलेगा. ९ .सफ़ेद सूती कपडे को सिरके में भिगोकर माथे पर रखने से भी दर्द में राहत मिलेगी. बालों की रूसी दूर करने के लिए १. नारियल के तेल में निम्बू का रस पकाकर रोजाना सर की मालिश करें. २. पानी में भीगी मूंग को पीसकर नहाते समय शेम्पू की जगह प्रयोग करें. ३. मूंग पावडर में दही मिक्स करके सर पर एक घंटा लगाकर धो दें. ४ रीठा पानी में मसलकर उससे स...